Wednesday, August 19, 2009

इति

पाठकों,
इतने दिनों तक मेरे ब्लॉग को पढ़ते रहने का आभार। इसके जारी रखने का मैं कोई औचित्य नहीं समझता, अतः इसकी इति करता हूँ। इतना ही कहूंगा - दोस्तों, पाखंड से बचो और दूर रहो, यह दुनिया बहुत छोटी है। झूठ बार बार कहने से सच नही बन सकता। मित्रता पूजा है, इबादत है। अच्छे मित्रों की हम पहचान कर सकें, उनकी इज्ज़त कर सकें , ऐसी सद्बुद्धि इश्वर हमें दे, सबों के लिए ऐसी कामना करते हुए ..... अविनाश